उन्मेष
आज प्रथम दिवस है हिन्दी परिपत्र लिखने का.आलस्यं हि मनुष्याणाम शरीरस्थो महारिपु: अतएव आज द्रढता पूर्वक बैठ ही गया/ आशा ऐसी है कि निरन्तरता रहेगी,शेष भविष्य के गर्भ मे है/
मेरी अनुभूतियाँ, अभिव्यक्तियों के रूप में और आपके विचार टिप्पणी के स्वरूप मे/ मेरी कविताएँ और कुछ अन्य बडे कवियों की रचनायें जो आपको पसन्द आयेंगी/ इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ......
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