k
आइने मे दिखता है सब कुछ उल्टा
दायें से बायां और बायें से दायां हो जाता हे सब कुछ
देखते रह्ते हैं ता-उम्र खुद को और दूसरों को आइने में
और हो जाते हैं अभ्यस्त खुद को वैसा ही समझने के, सदा के लिये/
दायें से बायां और बायें से दायां हो जाता हे सब कुछ
देखते रह्ते हैं ता-उम्र खुद को और दूसरों को आइने में
और हो जाते हैं अभ्यस्त खुद को वैसा ही समझने के, सदा के लिये/
1 Comments:
when we see in the mirror we not only see what we are but what the world had made us or simply say what we let this world to do with us so if if i understood ur poem even in fraction i need to say all those things which are good are symmetrical so left or right it does not make a sence ,what makes a sense is that we r what we opted to be???????????????
एक टिप्पणी भेजें
<< Home